वक्फ संशोधन विधेयक: संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने आम जनता से उनकी राय मांगी है। यहां हम बता रहे हैं कि आप वक्फ संशोधन विधेयक पर अपनी राय कैसे साझा कर सकते हैं।
8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ कानून में बदलाव के लिए एक बिल पेश किया गया था। हालांकि, कई मुस्लिम नेताओं और विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, यह कहते हुए कि इसे मुसलमानों से परामर्श किए बिना पेश किया गया है। इस विरोध के बाद, विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया, जिसने इस पर आम जनता, गैर-सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं। अब हम आपको बता रहे हैं कि आप अपनी राय समिति तक कैसे पहुंचा सकते हैं।
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वक्फ संशोधन विधेयक: संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने आम जनता से उनकी राय मांगी है। यहां हम बता रहे हैं कि आप वक्फ संशोधन विधेयक पर अपनी राय कैसे साझा कर सकते हैं।
8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ कानून में बदलाव के लिए एक बिल पेश किया गया था। हालांकि, कई मुस्लिम नेताओं और विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, यह कहते हुए कि इसे मुसलमानों से परामर्श किए बिना पेश किया गया है। इस विरोध के बाद, विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया, जिसने इस पर आम जनता, गैर-सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं। अब हम आपको बता रहे हैं कि आप अपनी राय समिति तक कैसे पहुंचा सकते हैं।
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Waqf Amendment Bill 2024: एक व्यापक दृष्टिकोण
Waqf (Amendment) Bill, 2024 को 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया। यह 1995 के Waqf अधिनियम में बदलाव लाता है। Waqf, जो कि मुस्लिम कानून के अंतर्गत पवित्र, धार्मिक, या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए चल और अचल संपत्तियों का दान होता है, का प्रबंधन इस अधिनियम के तहत किया जाता है। इस लेख में हम इस नए संशोधन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
Waqf क्या है?
Waqf का अर्थ किसी संपत्ति या संसाधन को धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए स्थायी रूप से दान करना है। भारत में Waqf अधिनियम, 1995 के तहत इसका प्रबंधन किया जाता है, जिसके अनुसार हर राज्य में Waqf बोर्ड का गठन अनिवार्य है। यह बोर्ड Waqf संपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करता है।
Waqf (Amendment) Bill, 2024 की मुख्य विशेषताएं
1. Waqf अधिनियम का नया नाम
इस बिल के तहत 1995 के Waqf अधिनियम को नया नाम दिया गया है: ‘United Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act, 1995’। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार Waqf संपत्तियों के प्रबंधन को और अधिक सशक्त और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है।
2. Waqf संपत्तियों का गठन
1995 के अधिनियम के तहत Waqf संपत्तियों का गठन निम्नलिखित तीन तरीकों से हो सकता था:
घोषणा द्वारा (Declaration)
दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर (Waqf by user)
उत्तराधिकार के समाप्त होने पर (Waqf-alal-aulad)
इस संशोधन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
केवल वे व्यक्ति जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं, Waqf संपत्ति की घोषणा कर सकते हैं।
Waqf संपत्ति घोषित करने वाले व्यक्ति को उस संपत्ति का मालिक होना आवश्यक है।
Waqf by user की व्यवस्था को हटा दिया गया है।
Waqf-alal-aulad के तहत, Waqf संपत्ति दानकर्ता के वारिसों, विशेष रूप से महिला वारिसों के उत्तराधिकार अधिकारों का हनन नहीं कर सकती।
3. सरकारी संपत्ति के रूप में Waqf
अगर कोई सरकारी संपत्ति Waqf के रूप में चिन्हित होती है, तो यह Waqf संपत्ति नहीं मानी जाएगी। क्षेत्रीय कलेक्टर संपत्ति के स्वामित्व को निर्धारित करेंगे और राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे। अगर संपत्ति सरकारी घोषित होती है, तो राजस्व रिकॉर्ड में इसका उल्लेख किया जाएगा।
4. Waqf संपत्ति के सर्वेक्षण की प्रक्रिया
पहले Waqf संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए एक सर्वेक्षण आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त नियुक्त किए जाते थे। अब यह कार्यक्षमता कलेक्टरों को दी गई है, और अधूरे सर्वेक्षण राज्य के राजस्व कानूनों के अनुसार पूरे किए जाएंगे।
5. केंद्रीय Waqf परिषद
1995 के अधिनियम के अनुसार, केंद्रीय Waqf परिषद का गठन केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने के लिए किया गया था। इस परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होते थे और उनमें से कम से कम दो महिलाएं होनी अनिवार्य थी। लेकिन नए संशोधन के अनुसार:
दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा।
संसद सदस्य, पूर्व न्यायाधीश, और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मुस्लिम होना आवश्यक नहीं होगा।
मुस्लिम सदस्यों में से कम से कम दो महिलाएं होंगी।
6. Waqf बोर्ड की संरचना
पुराने कानून के अनुसार, Waqf बोर्ड के लिए विभिन्न वर्गों के मुस्लिम सांसदों, विधायकों, और बार काउंसिल सदस्यों को चुनकर बोर्ड में भेजा जाता था। अब नए संशोधन के अनुसार:
राज्य सरकार प्रत्येक वर्ग से एक व्यक्ति नामांकित कर सकती है, जिन्हें मुस्लिम होना जरूरी नहीं है।
Waqf बोर्ड में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्य होने चाहिए और इसमें शिया, सुन्नी, और पिछड़े वर्गों के मुस्लिम शामिल होंगे।
अगर बोहरा और आगा-खानी समुदाय के पास राज्य में Waqf संपत्ति है, तो उनके लिए एक सदस्य अनिवार्य होगा।
7. विवाद समाधान के लिए न्यायाधिकरण की संरचना
1995 के अधिनियम में राज्यों को Waqf विवादों को सुलझाने के लिए न्यायाधिकरण का गठन करना होता था, जिसमें एक प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश, एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, और एक मुस्लिम कानून विशेषज्ञ सदस्य होते थे। अब नए संशोधन के अनुसार:
न्यायाधिकरण में मुस्लिम कानून विशेषज्ञ को हटाकर इसके स्थान पर एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को शामिल किया जाएगा।
न्यायाधिकरण के अध्यक्ष का पद अब एक जिला न्यायालय के न्यायाधीश को दिया जाएगा।
8. न्यायाधिकरण के निर्णय पर अपील
पहले न्यायाधिकरण के फैसलों को अंतिम माना जाता था और इन पर अदालतों में अपील नहीं की जा सकती थी। लेकिन अब नए संशोधन के तहत:
न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकेगी।
9. केंद्र सरकार के अधिकार
अब केंद्र सरकार को Waqf संपत्तियों के लेखा-जोखा, प्रकाशन, और Waqf बोर्ड की कार्यवाहियों के प्रकाशन से संबंधित नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। साथ ही, अब केंद्र सरकार CAG या किसी नामित अधिकारी के माध्यम से Waqf संपत्तियों के ऑडिट की प्रक्रिया कर सकेगी।
Waqf Amendment Bill 2024 का महत्व
इस संशोधन से Waqf संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, प्रभावशीलता, और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। इस बिल के तहत सरकारी संपत्तियों का गलत तरीके से Waqf के रूप में इस्तेमाल करने पर रोक लगेगी और Waqf बोर्ड की संरचना में विविधता आएगी। इसके अलावा, Waqf संपत्तियों के विवादों के समाधान के लिए न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत किया गया है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Waqf (Amendment) Bill, 2024 एक महत्वपूर्ण कदम है जो Waqf संपत्तियों के प्रबंधन को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाएगा। इससे Waqf संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा और संपत्तियों के विवादों को सुलझाने की प्रक्रिया को अधिक न्यायसंगत और सरल बनाया जाएगा।